शिव क्या है! शिव कौन है! शिव का क्या अर्थ है! क्या इस सृष्टि का सार ही शिव है? क्या शिव हम सभी मे स्थित है? या हम सब शिव मे स्थित है। इस ब्रह्माण्ड की उत्पति का कारक बिंदु ही शिव है। 

सदा शिव का रूप ही सृष्टि का आधार है।

सदा शिव का रूप ही सृष्टि का आधार है। 

 
यह सम्पूर्ण सृष्टि १६ प्रकार के तत्त्वो से निर्मित है। जिसमे से पांच तत्त्व जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी और आकाश, मृत्यु लोक से सम्बंधित होते है, छठा तत्त्व 'शिव तत्त्व' या 'शिव रूप' कहलाता है। जिसका सीधा सम्बन्ध आज्ञा चक्र से होता है, वही हमारे मस्तिष्क का केंद्र बिंदु होता है। 

विशुद्वि चक्र और आज्ञा चक्र के मध्य मे ११ तत्व स्थित होते है, परन्तु फिर भी शिव को छठा तत्त्व कहा जाता है क्योकि शिव ही आदि, अंत और मध्य है। शिव अखंड है जो सभी तत्वों से भी परे फिर भी सभी तत्व उन्ही मे ही निहित है। शिव इस सृष्टि का वो आधार स्तंभ है जिसके बिना इस सृष्टि का संतुलन संभव ही नहीं है। 


सदा शिव का रूप ही सृष्टि का आधार है।


शिव को समझना सामान्य बुद्धि से संभव नहीं है, क्योकि शिव सभी तर्कों से परे है कोई भी तर्क केवल सीमित परिधि मे ही प्रभावी हो सकता है, परन्तु शिव सभी परिधियों की सीमा से बाहर है, इसलिए कोई भी मानव बुद्धि शिव के सम्पूर्ण रहस्य को नहीं समझ सकती 


हमारा मस्तिस्क केवल ७ से ८ % ही कार्य करता है, जो केवल सांसारिक दुनिया का अनुभव करने के लिए ही पर्याप्त है शिव रूप को जानने के लिए हमे अपनी उच्च इन्द्रियों को जाग्रत करना पड़ता है जिसके लिए दृढ़ विश्वास, प्रबल इछाशक्ति, और निरंतर योग साधना की आवश्यकता होती है जिससे हमारे शरीर की समस्त ग्रंथियाँ जाग्रत होने लगती है और हम स्वयं मे ही समाहित शिव तत्व का आभास करने लगते है
                                                            

हमारे शरीर मे मुख्य्तः तीन प्रकार की ग्रंथिया होती है ब्रह्मग्रंथि, विष्णुग्रन्थि और रुद्रग्रन्थि ! ब्रह्मग्रंथि और विष्णुग्रन्थि को जाग्रत करना सरल होता है क्योकि इनका सम्बन्ध पंच तत्वों से होता है परन्तु रुद्रग्रन्थि को जाग्रत करना अत्यंत कठिन कार्य होता है और बिना रुद्रग्रन्थि को जाग्रत किये समस्त शेष ११ तत्वों को समझना संभव ही नहीं है 

इन सभी १६ तत्वों का अनुभव करने के पश्चात ही शिव और शक्ति का साक्षात्कार संभव है, और शिव रूप का साक्षात्कार ही मोक्ष है शिव आरम्भ और अंत इन दोनों का केंद्र बिंदु है। शिव वो बिंदु है, जहां पर ये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड आकर विलीन हो जाता है और जहा से फिर एक नई सृष्टि का उदय होता है। 


शिव सभी प्राणियों मे स्थित एक चेतना है, जो मनुष्य को स्वयं का आत्मसाक्षात्कार कराती है। इसीलिये शिव को परम गुरु कहा गया है। जो भी इस सम्पूर्ण सृष्टि मे उपस्थित है वही सत्य है और जो सत्य है वही शिव है और जो शिव है वही सुंदर है, इसीलिये तो कहा जाता है "सत्यम शिवम् सुंदरम"।       

       

Post a Comment

Plz do not enter any spam link in the comment box.

और नया पुराने