शिव पंचाक्षर स्तोत्र "नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय"


शिव पंचाक्षर स्तोत्र "नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय" भगवान शिव की एक अनुपम स्तुति है जिसकी रचना आदि गुरु शंकराचार्य जी ने की थी। नमः शिवाय जो इस सृष्टि का सबसे पहला मंत्र है इसके पहले पांचों अक्षरों न, म, शि, वा और य से ही इन पांचो श्लोकों की रचना की गई है। इसलिए यह पंचाक्षर स्तोत्र शिवस्वरूप है। इन्ही श्लोकों के द्वारा आदि गुरु शंकराचार्य ने भगवान शिव की महिमा जो शिवस्वरूप है का गुणगान किया है जिसमे पांचो तत्व सम्मिलित है- 


न – पृथ्वी तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।

म – जल तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।

शि – अग्नि तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।

वा – वायु तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।

य – आकाश तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।


आइये शिव पंचाक्षर स्तोत्र के द्वारा भगवान शिव की स्तुति करते है ...


शिव पंचाक्षर स्तोत्र - भगवान शिव की स्तुति 


श्लोक:- नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

                                नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवायः॥

हिंदी अर्थ:- जिनके कंठ मे सांपों का हार है, जिनके तीन नेत्र हैं, भस्म ही जिनका अनुलेपन हुआ है और दिशांए ही जिनके वस्त्र हैं, उन अविनाशी महेश्वर 'न' कार स्वरूप शिव को नमस्कार है।


श्लोक:- मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।

                                मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नमः शिवायः॥

हिंदी अर्थ:- गंगाजल और चन्दन से जिनकी अर्चना हुई है, मन्दार के फूल और अन्य पुष्पों से जिनकी सुंदर पूजा हुई है, उन नन्दी के अधिपति और प्रमथगणों के स्वामी महेश्वर 'म' कार स्वरूप शिव को नमस्कार है।


श्लोक:- शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

                                श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नमः शिवायः॥

हिंदी अर्थ:- जो कल्याण स्वरूप हैं, पार्वती जी के मुख कमल को प्रसन्न करने के लिये जो सूर्य स्वरूप हैं, जो राजा दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले हैं, जिनकी ध्वजा में बैल का चिन्ह है, उन शोभाशाली श्री नीलकण्ठ 'शि' कार स्वरूप शिव को नमस्कार है।


श्लोक:- वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय।

                                चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नमः शिवायः॥

हिंदी अर्थ:- वशिष्ठ, अगस्त्य और गौतम आदि श्रेष्ठ ऋषि मुनियों ने तथा इंद्र आदि देवताओं ने, जिनके मस्तक की पूजा की है। चंद्रमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र हैं, उन 'व' कार स्वरूप शिव को नमस्कार है।


श्लोक:- यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।

                                दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नमः शिवायः॥

हिंदी अर्थ:- यक्षरूप धारण करने वाले, जटाधारी, जिनके हाथ में उनका पिनाक नाम का धनुष है, जो दिव्य सनातन पुरुष हैं, उन दिगम्बर देव 'य' कार स्वरूप शिव को नमस्कार है।


श्लोक:- पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ।

                                शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

हिंदी अर्थ:- जो शिव के पास इस पवित्र पंचाक्षर मंत्र का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है और वहां शिवजी के साथ आनंदित होता है।


॥इति श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥




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