शिव का अर्थ ही है कल्याणकारी, लिङ्गाष्टकं स्त्रोत्र भगवान शिव के लिंगस्वरूप की स्तुति है जो शिव कृपा पाने का सबसे उत्तम अष्टक है। जो कोई भक्त पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और आस्था के साथ भगवान शिव के लिङ्गाष्टकं स्त्रोत का नित्य पाठ करेगा उसकी शिव शङ्कर सभी मनोकामनाओ और तथा इच्छाओं की पूर्ति स्वयं करते हैं भगवान शिव का लिङ्गाष्टकं स्त्रोत हिंदी अर्थ सहित इस प्रकार है:- 

 

लिङ्गाष्टकं स्त्रोत्र हिंदी अर्थ सहित


लिङ्गाष्टकं स्त्रोत्र हिंदी अर्थ सहित 


ब्रह्म मुरारि सुरार्चित लिङ्गं निर्मल भासित शोभित लिङ्गम्।

जन्मज दुःख विनाशक लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्।।१।।


हिंदी अर्थ:- जो ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवगणों के इष्टदेव हैं, जो परम पवित्र, निर्मल, तथा सभी जीवों की मनोकामना को पूर्ण करने वाले हैं और जो लिंग के रूप में चराचर जगत में स्थापित हुए हैं, जो संसार के संहारक है और जन्म और मृत्यु के दुखो का विनाश करते है ऐसे भगवान आशुतोष को नित्य निरंतर प्रणाम है।


देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम्।

रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्।।२।।


हिंदी अर्थ:- भगवान सदाशिव जो मुनियों और देवताओं के परम आराध्य देव हैं, तथा देवो और मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं, जो काम (वह कर्म जिसमे विषयासक्ति हो) का विनाश करते हैं, जो दया और करुना के सागर है तथा जिन्होंने लंकापति रावन के अहंकार का विनाश किया था, ऐसे परमपूज्य महादेव के लिंग रूप को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ।


सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम्।

सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्।।३।।


हिंदी अर्थ:- लिंगमय स्वरूप जो सभी तरह के सुगन्धित इत्रों से लेपित है, और जो बुद्धि तथा आत्मज्ञान में वृद्धि का कारण है, शिवलिंग जो सिद्ध मुनियों और देवताओं और दानवों सभी के द्वारा पूजा जाता है, ऐसे अविनाशी लिंग स्वरुप को प्रणाम है।


कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम्।

दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्।।४।।


हिंदी अर्थ:- लिंगरुपी आशुतोष जो सोने तथा रत्नजडित आभूषणों से सुसज्जित है, जो चारों ओर से सर्पों से घिरे हुए है, तथा जिन्होंने प्रजापति दक्ष (माता सती के पिता) के यज्ञ का विध्वस किया था, ऐसे लिंगस्वरूप श्रीभोलेनाथ को बारम्बार प्रणाम।


कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्।

सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्।।५।।


हिंदी अर्थ:- देवों के देव जिनका लिंगस्वरुप कुंकुम और चन्दन से सुलेपित है और कमल के सुंदर हार से शोभायमान है, तथा जो संचित पापकर्म का लेखा-जोखा मिटने में सक्षम है, ऐसे आदि-अन्नत भगवान शिव के लिंगस्वरूप को मैं नमन करता हूँ।


देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम्।

दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्।।६।।


हिंदी अर्थ:- जो सभी देवताओं तथा देवगणों द्वारा पूर्ण श्रृद्धा एवं भक्ति भाव से परिपूर्ण तथा पूजित है, जो हजारों सूर्य के समान तेजस्वी है, ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को प्रणाम है।


अष्टदलोपरि वेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम्।

अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्।।७।।


हिंदी अर्थ:- जो पुष्प के आठ दलों (कलियाँ) के मध्य में विराजमान है, जो सृष्टि में सभी घटनाओं (उचित-अनुचित) के रचियता हैं, और जो आठों प्रकार की दरिद्रता का हरण करने वाले ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूँ।


सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम्।

परात्परंपरमात्मकलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्।।८।।


हिंदी अर्थ:- जो देवताओं के गुरुजनों तथा सर्वश्रेष्ठ देवों द्वारा पूजनीय है, और जिनकी पूजा दिव्य-उद्यानों के पुष्पों से कि जाती है, तथा जो परमब्रह्म है जिनका न आदि है और न ही अंत है ऐसे अनंत अविनाशी लिंगस्वरूप भगवान भोलेनाथ को मैं सदैव अपने ह्रदय में स्थित कर प्रणाम करता हूँ।


लिंगाष्टक मिदं पुण्यं यः पठेच्छिव सन्निधौ।

शिव लोकम वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।


हिंदी अर्थ:- जो कोई भी इस लिंगाष्टकम को शिव या शिवलिंग के समीप श्रृद्धा सहित पाठ करेगा उसको शिवलोक प्राप्त होता है तथा भगवान भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है।


।।इति लिङ्गाष्टकं सम्पूर्णम्।।




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