कालसर्प दोष क्या होता है, इसके लक्ष्ण व उपाय

हिन्दू धर्म में हम जन्म कुंडली को बहुत अधिक महत्व देते है। किसी बच्चे के जन्म से लेकर उसकी, शादी, नौकरी और उसके जीवन से जुड़े किसी अन्य कार्य के लिये भी उसकी जन्म कुंडली का उपयोग किया जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सभी वयक्तियों के जीवन में आने वाले भविष्य में सुख और दुख की जानकारी को हम उसकी जन्म कुंडली से प्राप्त कर सकते है।
हर जन्म कुंडली में कुछ अच्छे और कुछ बुरे योग होते है इनमे से एक दोष है जो सबसे अधिक भयभीत करता है, वह है कालसर्प दोष जो किसी वयक्ति के पूरे जीवन पर असर डालता है। काल सर्प दोष होने से इंसान के जीवन में कई प्रकार की परेशानी बढ़ जाती है। वैसे तो ज्योतिष शास्त्रों में कालसर्प दोष का कोई भी स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है।

कालसर्प दोष क्या होता है?

आधुनिक ज्योतिष में कालसर्प दोष को पर्याप्त रूप से स्थान दिया गया है, लेकिन विद्वानों के बिच की राय भी कालसर्प के बारे में एक जैसी नहीं है। राहू का अधिदेवता 'काल' है, और केतु का अधिदेवता 'सर्प' है, इसलिये यदि कुंडली के सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में एक तरफ हों तो उस कुंडली में 'कालसर्प' दोष का निर्माण माना जाता हैं।

ज्योतिषीय मत के अनुसार कुंडली में काल सर्प दोष होने से उस कुंडली में मौजूद अन्य शुभ ग्रह भी अपना शुभ फल प्रदान नहीं करते। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कुंडली के भावों में सारे ग्रह दाहिनी ओर स्थित हों तो कालसर्प योग अधिक नुकसानदायक नहीं होता, परन्तु यदि यह बाई और हो तो काफी कष्टदायक होता है। कालसर्प दोष मुख्यत 12 प्रकार के बताए गए हैं, अनंत, कुलिक, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखनाद, घातक, विषाक्त और शेषनाग।

कालसर्प दोष के लक्षण 

यदि कुंडली में कालसर्प दोष है तो व्यक्ति को सांप के बुरे सपने दिखाई देते हैं, अगर यदि आपको बार-बार मृत्यु के सपने आते हैं, बहुत अधिक मेहनत के बाद भी अगर आप सफल नहीं हो पा रहे हैं, तो यह सब कालसर्प दोष के कारण हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को लगभग 42 साल या उतनी उम्र के बाद ही सफलता मिलती है। इस दौरन ऐसे व्यक्तियो का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है, वो जो भी काम करते है, उसमें उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। उनके विवाह से लेकर संतान सुख प्राप्त करने तक में भी बाधा आती है।

कालसर्प दोष कुंडली में कैसे बनता है?

राहु और केतु हमेशा एक दूसरे के विपरीत 180 डिग्री पर स्थित रहते है, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतू के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण माना जाता है। क्योकि कुंडली के एक घर में राहु और दूसरे घर में केतु के बैठे होने से अन्य सभी ग्रहों से आ रहे सभी शुभ फल रूक जाते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह फँस जाते हैं और यह जातक के लिए एक समस्या बन जाती है। इस दोष के कारण से काम में बाधा, नौकरी में रूकावट, शादी में देरी और धन संबंधित परेशानियाँ, उत्पन्न होने लगती हैं।

कालसर्प दोष कितने प्रकार का होता है?

ज्योतिष ग्रंथों में 12 प्रकार के कालसर्प योगों का वर्णन किया गया है- 

1-अनन्त  2-कुलिक  3-वासुकि  4-शंखपाल  5-पद्म  6-महापद्म  7-तक्षक  8-कर्कोटिक 9-शंखचूड़  10-घातक  11- विषाक्तर  12-शेषनाग।

अनंत कालसर्प दोष 

अगर राहु लग्न में बैठा है और केतु सप्तम में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तो कुंडली में अनंत कालसर्प दोष का निर्माण होता है। अनंत कालसर्प योग के प्रभाव से जातक को जीवन भर मानसिक शांति का आभाव रहता है। इस प्रकार के जातक का वैवाहिक जीवन भी परेशानियों से भरा रहता है।

कुलिक कालसर्प दोष 

अगर राहु कुंडली के दुसरे घर में, केतु अष्ठम में विराजमान है और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में है तब कुलिक कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के कारण व्यक्ति के जीवन में धन और स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ उत्पन्न होती रहती हैं।

वासुकि कालसर्प दोष 

जन्मकुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु विराजमान हो तथा बाकि ग्रह बीच में तो वासुकि कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस प्रकार की कुंडली में बल और पराक्रम को लेकर समस्या उत्पन्न होती हैं।


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शंखपाल कालसर्प दोष 

अगर राहु  चौथे घर में और केतु दसवें घर में हो साथ ही साथ बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो शंखपाल कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसे व्यक्ति के पास प्रॉपर्टी, धन और मान-सम्मान संबंधित परेशानियाँ बनी रहती हैं।

पद्म कालसर्प दोष 

जब जन्मकुंडली के पांचवें भाव में राहु, ग्याहरहवें भाव में केतु और बीच में अन्य ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसे इंसान को शादी और धन संबंधित दिक्कतें परेशान करती हैं।

महा पद्म कालसर्प दोष 

अगर राहु किसी के छठे घर में और केतु बारहवें घर में विराजमान हो तथा बाकी ग्रह मध्य में तो तब महा पद्म कालसर्प योग का जन्म होता है। इस प्रकार के जातक के पास विदेश यात्रा और धन संबंधित सुख नहीं प्राप्त हो पाता है। 

तक्षक कालसर्प दोष 

जब जन्मकुंडली के सातवें भाव में राहु और केतु लग्न में हो तो इनसे तक्षक कालसर्प योग बनता है। यह योग शादी में विलंब व वैवाहिक सुख में बाधा उत्पन्न करता है।

कर्कोटक कालसर्प दोष 

अगर राहु आठवें घर में और केतु दुसरे घर आ जाता है और बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो कर्कोटक कालसर्प योग कुंडली में बन जाता है। ऐसी कुंडली वाले इंसान का धन स्थिर नहीं रहता है और गलत कार्यों में धन खर्च होता है।

शंखनाद कालसर्प दोष 

जब जन्मकुंडली के नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य हों तो इनसे बनने वाले योग को शंखनाद कालसर्प योग कहते है। यह दोष भाग्य में रूकावट, पराक्रम में रूकावट और बल को कम कर देता है।

पातक कालसर्प दोष 

इस स्थिति के लिए राहु दसंम में हो, केतु चौथे घर में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में तब पातक कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसा राहु  काम में बाधा व सुख में भी कमी करने वाला बन जाता है।

विषाक्तर कालसर्प दोष 

जब जन्मकुंडली के ग्याहरहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को विषाक्तर कालसर्प योग कहते है। इस प्रकार की कुंडली में शादी, विद्या और वैवाहिक जीवन में परेशानियां बन जाती हैं।

शेषनाग कालसर्प दोष 

अगर राहु बारहवें घर में, केतु छठे में और बाकी ग्रह इनके बीच में हो तो शेषनाग कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसा राहु  स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतें, और कोर्ट कचहरी जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है।


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कालसर्प दोष दूर करने के उपाय

काल सर्प दोष के उपाय अगर आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है तो नियमित रूप से भगवान विष्णु की उपासना करना चाहिए। शनिवार के दिन बहते हुए जल में कोयले के टुकड़ों को प्रवाहित करने से भी काल सर्प दोष का प्रभाव कम होता है। राहु-केतु का जप और अनुष्ठान करवाने से भी इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य उपाय भी करने चाहिये 

  • शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं।
  • शिव भगवान का रुद्राभिषेक।
  • नागपंचमी का व्रत करें। 
  • मोर का पंख सदा अपने निवास स्थान पर रखें। 
  • कुल देवता की उपासना करें। 
  • प्रतिदिन महा मृत्युंजय मन्त्र का जाप करें।
  • हनुमान चालीसा का प्रतिदिन 108 बार जप करें।
  • मंगलवार एवं शनिवार को रामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ श्रध्दापूर्वक करें। 

अंत में निष्कर्ष 

कालसर्प दोष भी अन्य योगो की तरह कुंडली में बनने वाला एक ग्रही संयोग है जो हमारे प्रारब्ध के कारण इसका हमारी कुंडली में निर्माण होता है। इससे भयभीत या आतंकित होने की आवश्यकता नहीं होती यदि वयक्ति अपना आचरण सही रखता है, और भगवान में विश्वास रखकर अपना कार्य करता है तो उसे सफलता अवश्य मिलती है। 

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