माँ दुर्गा की आरती हिंदी में 


माँ दुर्गा की आरती हिंदी में

नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के बाद उनकी आरती करने का विशेष महत्व होता है। माँ की आरती किए बिना उनकी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है, इसलिए दुर्गाजी की आरती अवश्य करनी चाहिए। स्कंद पुराण में दुर्गा पूजा में आरती का विशेष महत्व बताया गया है। इसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि यदि कोई भक्त पूजा की विधि नहीं जानता है, न ही कोई मंत्र जानता है, लेकिन वह उस देवता की आरती करता है, तो उसकी पूजा पूर्ण मानी जाती है। वैसे भी मां दुर्गा की पूजा में सबसे ज्यादा महत्व ज्योति का होता है। घी के दीपक से माँ की आरती करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। इसलिए आरती की थाली में दीपक के साथ फूल, धूप-अक्षत और कपूर भी रखना चाहिए।


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी... यह माँ दुर्गाजी की सबसे लोकप्रिय आरती है, इस आरती के शब्द बहुत ही सरल और लोकप्रिय है, की आरती गाते समय उसके उच्चारण में कोई गलती भी नहीं होती हैं। इसलिए हम आपके लिए लाए हैं ये आरती-  


माँ अम्बे जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी...


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी। सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी। आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों। बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।


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