सनातन धर्म में पितृ पक्ष या पितरों की पूजा और पिंडदान को विशेष महत्व दिया गया है। पितृ पक्ष में पूर्वज यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने परिवार का चक्कर लगाते हैं। पितृ पक्ष में पितरों की तृप्ति के लिए उन्हें भोजन कराया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे हमे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते है।

 

पितृ पक्ष में भूल कर भी ना करे ये काम?


शास्त्रों में पूर्वजों को भी देवताओं के समान शक्तिशाली माना गया है। पूर्वज भी देवताओं की तरह आशीर्वाद देते हैं, जिससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। पूर्वज क्रोधित भी होते हैं, जिसके कारण जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए इस पावन पितृ पक्ष में कुछ ऐसे कार्य हैं, जो नहीं करने चाहिए। ऐसा करने से पितरों की आत्मा क्रोधित हो जाती है।


पितृ पक्ष में भूल कर भी ना करे ये काम?

  

शास्त्रों के अनुसार सुबह का समय देवी-देवताओं की पूजा का होता है। वहीं दोपहर के समय पितृगण की पूजा करनी चाहिए, ब्राह्मणों को जो भोजन करना चाहिए यह सब कार्य पितरों की तृप्ति के लिए दिन में ही करना चाहिए। इसके साथ ही पितरों को दान किया गया भोजन गाय, कौए, कुत्ते को भी खिलाना चाहिए।


पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण विधि करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों की पूजा न करने से पितरों को मृत्युलोक में स्थान नहीं मिलता और उनकी आत्मा भटकती रहती है, जिससे पितरों को क्रोध आता है और अनेक दोष उत्पन्न होते हैं। इसलिए पितृ पक्ष में तर्पण विधि और श्राद्ध कर्म किया जाता है।


पितरों की पूजा करते समय विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। भूलकर भी पितृ पक्ष में लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पितरों के लिए बने भोजन या जिसमें भोजन परोसा जाता है, उसमें लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों को क्रोध आता है और परिवार की सुख, शांति और समृद्धि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस दौरान आप तांबे, पीतल या अन्य धातु के बर्तनों का प्रयोग कर सकते हैं।


पितृ पक्ष पूर्वजों को याद करने और उनकी पूजा करने का समय है। इसलिए एक तरह से इस समय को परिवार में दुःख और गम का माहौल माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए और नया सामान भी नहीं खरीदना चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है।


यदि आप पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं तो शरीर पर तेल लगाने और पान के पत्तों का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही संभव हो तो दाढ़ी और बाल भी नहीं काटने चाहिए और इस दौरान शास्त्रों में इत्र का प्रयोग भी वर्जित माना गया है। ऐसा करने से पितरो को क्रोध आता है, जिससे जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।


पितृ पक्ष में भूलकर भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। क्योकि आपके पूर्वज किसी न किसी रूप में आपके दरवाजे पर आ सकते हैं और आपके व्यवहार से उन्हें ठेस पहुंच सकती है। इसलिए आज के समय में न तो किसी जानवर का और न ही किसी इंसान का अपमान करना चाहिए, इसे भी अपनी आदत बना लें। यदि कोई भिखारी या कोई अन्य व्यक्ति आपके द्वार पर आया है तो उसे बिना भोजन के नहीं भेजा जाना चाहिए।


पितृ पक्ष के दौरान हमेशा सात्विक भोजन करना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह भोजन पितरों को चढ़ाया जाता है। प्याज और लहसुन से बना खाना खाना न बनाये। यदि आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद नहीं है तो पितृ पक्ष की अंतिम तिथि को आप पिंडदान या तर्पण विधि से पूजा कर सकते हैं। ऐसा करने से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद भी मिलता है।


पितृ पक्ष की अवधि के दौरान व्यक्ति को अपने मन, वाणी और शरीर पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहिए। इन दिनों को भूलकर भी किसी को मन और वाणी से बुरा नहीं बोलना चाहिए और न ही बुरे कर्म करने चाहिए। यह समय पितरों को याद करने का है इसलिए वाद-विवाद से दूर रहें। ऐसा करने से पितरों को गुस्सा आता है कि उनके परिवार के लोग आपस में झगड़ रहे हैं, इसलिए इन दिनों प्रेम से रहना चाहिए ताकि पितरों का आशीर्वाद हमेशा बना रहे।


पितृ पक्ष में जप, तपस्या और दान का विशेष महत्व है। इन दिनों मन पर संयम रखकर पितरो का ध्यान किया जाता है और मन को शुद्ध रखा जाता है। इसलिए पति-पत्नी दोनों को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए और ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करना चाहिए। पितृ पक्ष में पितरों का वास घर में ही होता है इसलिए उन्हें ठेस पहुंचाना ठीक नहीं होगा। ऐसा करने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


2022 में श्राद्ध की तिथियां कौन कौन सी है?


इस वर्ष पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक चलेगा। जो इस प्रकार से है:- 



10 सितंबर 2022- पूर्णिमा श्राद्ध, भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा

10 सितंबर 2022- प्रतिपदा श्राद्ध, अश्विना, कृष्ण प्रतिपदा

11 सितंबर 2022- अश्विना, कृष्णा द्वितीया

12 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण तृतीया

13 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण चतुर्थी

14 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण पंचमी

15 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण षष्ठी

16 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण सप्तमी

18 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण अष्टमी

19 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण नवमी

20 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण दशमी

21 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण एकादशी

22 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण द्वादशी

23 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण त्रयोदशी

24 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण चतुर्दशी

25 सितंबर 2022 - अश्विना, कृष्ण अमावस्या

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