श्री राम एक भक्त वत्सल भगवान

भक्त बड़ा या भगवान, इस विषय पर लगभग सभी विद्वानों का एक ही मत है, की भक्त की शक्ति तो भगवान से भी अधिक होती है। भगवान सदा ही भक्त के वश मे रहते है, वो भक्त की भावना के अधीन होकर विधि के विधान के विपरीत भी कार्य कर देते है। 

जो सर्वश्वेर, किसी के अधीन नहीं होते वो केवल भक्त के अधीन होकर रह जाते है। श्री राम के जीवन की अमृत कथा 'भक्त और भगवान' के इसी अनुपम मिलन के बिना अधूरी है। जिसमे भक्त और भगवान एक दूसरे के पूरक है। जहाँ भक्त और भगवान के बीच का अंतर मिट जाता है। जहाँ भक्त सामर्थ्यवान और भगवान असहाय दिखाई देता है। 

भक्त और भगवान के दिव्य प्रेम की इस अनुभूति के बिना राम कथा की पूर्ण आहुति होना संभव नहीं। जिसमे भावनाओं का वो आवेग है, जहां कोई भी ह्र्दय विचलित हुऐ बिना नहीं रह सकता, और जो भावनाओं के इस सागर मे एक बार डूब जाता है, वो फिर कभी नहीं उबरता।      
 
lord rama bhakt aur bhagwan

भगवान अपने भक्त की उसी प्रकार देखभाल करते है, जैसे माता अपने शिशु की देखभाल करती है। माता जैसे शिशु की चपलता का आनंद लेती है, उसी प्रकार भगवान भी भक्त की लीलाओ का आन्नद लेते हुऐ उसकी बड़ाई करते है। जब सुग्रीव के कहने पर हनुमान जी श्री राम का भेद लेने जाते है, और उनका भेद लेने के लिए उन पर अपनी विद्धवता का प्रभाव जमाते है, तो श्री राम मन ही मन मुस्कराकर उनकी चतुराई को नमस्कार करते है, और एक साधरण मनुष्य की भाति उन्हे अपना परिचय देते है।

श्री राम का परिचय पाने पर, जब हनुमान जी को अपनी भूल का भान होता है, और वे राम से अपने अज्ञान भरे वचनो के लिए क्षमा मांगते है, तो भी श्री राम हनुमान के ज्ञान की ही बड़ाई करते है। भक्त का अपने भगवान पर अटूट विश्वास ही 'भक्त और भगवान' के बीच के अंतर को पूर्ण रूप से मिटा देता है, तब भक्त के मुँह से निकला कोई भी वचन भगवान का ही वचन हो जाता है। 

इसका सबसे जीवंत उदहारण अंगद है जो राम की और से रावण को यह वचन देता की अगर उसका कोई भी योद्धा मेरे पैर को जमीन से उठा देगा तो राम उसे अपनी हार मानकर लंका से वापस लौट जाएंगे। यह विश्वास की वो पराकाष्ठा है जो भगवान को भी भक्त के वचन की आन रखने पर विवश कर देती है।   
                   
            " समुझि राम प्रताप कपि कोपा। सभा माझ पन करि पद रोपा॥
                                        जौं मम चरन सकसि सठ टारी। फिरहिं रामु सीता मैं हारी॥ "  

lord rama bhakt aur bhagwan

अपनी अटूट भक्ति की शक्ति के कारण ही हनुमान जी अपने आराध्य श्री राम के लिए सर्वसमर्थ सिद्ध हुए। राम स्वयं समर्थ होकर भी भक्त का मान बढ़ाने के लिए अपने प्रताप द्वारा भक्त के हाथो से ही अपने सभी कार्य सिद्ध करते है, ताकि भक्त भी इस संसार मे भगवान के सामान ही जन मानस के ह्रदय पटल पर अंकित रहे। अपने भक्तो के ह्रदय के हर भाव को राम उसी प्रकार समझते है, जैसा एक माता अपने शिशु की हर मनोस्थति का भान रखती है। 

जब माता सीता हनुमान जी को उपहार रूप मे मोती की माला देना चाहती है, तो हनुमान जी के अंतर्मन पर एक चोट लगती है, वो समझते है की माता उनकी सेवाओं का मूल्य चुका रही है, उस समय अन्तर्यामी राम उनकी ह्रदय की पीड़ा को इस प्रकार समझ लेते है, जैसे माता अपने शिशु की पीड़ा को भाप लेती है। तब श्री राम अपने जीवन मे हनुमान की उपयोगिता को बताकर की राम, बिना हनुमान के अधूरे है इस प्रकार हनुमान जी की मनोस्थिति पर स्नेह स्पर्श करते है, की भक्त के अंतर्मन की हर दुविधा उसी प्रकार शांत हो जाती है, जैसे माता का स्नेह स्पर्श पाकर बालक शांत हो जाता है।                       

lord rama

राम कथा बिना माता शबरी के भी अपूर्ण है, जो भक्ति की उस दिव्यता को प्रदर्शित करती है, जिसके आगे देवता तो क्या स्वयं राम भी नतमस्तक हो जाते है। यह भक्ति की वो स्थिति है, जिसमे भक्त सांसारिक दृस्टि से पागल दीखता है और लौकिक शिष्टाचार को भूलकर भक्ति की उस चरम अवस्था को प्राप्त हो जाता है जहां उसकी भौतिक चेतना सुप्त हो जाती है। 

भक्ति की उसी चरम अवस्था पर पहुंच चुकी शबरी के झूठे बेर राम उसी भाव से खाते है, जिसमे लौकिक शिष्टाचार की अपेक्षा प्रेम की प्रबलता है, जहां भक्त और भगवान दोनो एक सामान है। भक्त का यह भाव की कोई कड़वा फल प्रभु का ना अर्पित हो इसलिए चख कर राम को अर्पित करना, भक्ति की वो दिव्य प्रमाणिकता है, जिसका वेग धैर्यशील राम को भी आत्मविभोर कर देता है, वो अपने भक्त के आगे हाथ जोड़कर खड़े हो जाते है।शायद इसीलिये भक्त की महिमा भगवान से भी प्रबल होती है। 


अंत मे निष्कर्ष 


भक्त के बिना भगवान भी अधूरे होते है, जिस प्रकार भक्त की पहचान उसकी भक्ति होती है, उसी प्रकार भगवान की पहचान भी भक्त ही होता है। राम इन दोनों चरित्रों को चरितार्थ करते दिखाई देते है, वो भक्त भी है और भगवान भी, राम के इन्ही रूपों को आप ऊपर दिये गये Web Links के द्वारा जान सकते है और अपनी राय हमे दे सकते है 

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