Rama's love for brother

श्री राम एक पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा


भगवान राम से सम्बंधित उनकी जीवंत कथाओं मे भाई का भाई के प्रति प्रेम का अलौकिक उदहारण, जो मानव मात्र के ह्र्दय पटल पर आज तक अंकित है। इसकी छाप इतनी गहरी है, की इतने युगो बाद भी मानव आज तक इसके मोह से अपने आप को नहीं छुड़ा पाया है। क्या राम का जीवन चरित्र मात्र एक कल्पना है, नहीं, क्योकि कल्पना का कोई आधार नहीं होता, और जिसका कोई आधार नहीं होता, वो मानव समाज को इतने पीढ़ियों और युगो बाद भी यु सम्मोहित नहीं कर सकता।

क्योकि कल्पना की आयु सिमित होती है, और एक दिन वो अपने अंत को प्राप्त हो जाती है। परंतु राम का चरित्र कोई कल्पना नहीं उसमे मर्यादाओं और मानव चरित्र का वो जीवंत उदहारण जो इतने वर्षो बाद भी समाज के लिये एक दृष्टान्त बना हुआ है। इसीलिए राम कोई कल्पना नहीं एक पूर्ण सत्य है, जिसे प्रमाणित करने के लिये किसी की आवश्य्कता नहीं है।    

भाई का भाई से प्रेम 


लक्ष्मण का राम के प्रति प्रेम, भरत की राम के प्रति भक्ति ये वो उदहारण है, जो आज भी हमारे अंतर्मन को निरंतर प्रकाशित कर रहे है। पर इनके विपरीत राम का अपने भाइयो के प्रति प्रेम जो मोहरहित है, जिसमे मोह से अधिक कर्तव्य के प्रति निष्ठा है, जो उन्हे कर्तव्य मार्ग से भटकने नहीं देता, जो पिता और मित्र दोनों चरित्रों का ऐसा संतुलन बनाता है, जिसमे बड़े भाई का वो चरित्र जो पिता के सामान पुत्र रूपी छोटे भाइयों को पालन और कर्तव्य मार्ग का बोध करता और मित्र के सामान उनके उत्साह को बड़ाहता है।    

lord rama

राम, वनवास का निर्णय होने पर पिता के प्रति उत्पन्न लक्ष्मण के क्रोध को मित्र के सामान शांत करते है और पिता के सामान उनके अधिकारों की सीमाओं का ज्ञान कराकर उनके कर्तव्य मार्ग को प्रशस्थ करते है। लंका युद्ध मे भी वो लक्ष्मण के उत्साह को गिरने नहीं देते, और शत्रु के द्वारा कपट युद्ध मे भी वो लक्ष्मण को धर्ममार्ग से भटकने नहीं देते।

इसी प्रकार वो चित्रकूट मे भी भरत को भावनाओ से अधिक उनके कर्तव्यों के मार्ग को प्रशस्थ करते दिखाई देते है। उन्हे प्रेम और भक्ति का सही अर्थ समझाते है, ताकि भरत निश्छल प्रेम को समझ कर भक्ति की चरम सीमा को प्राप्त कर सके। यही पर राम भरत के माध्यम से संसार को मोह रहित भक्ति का ज्ञान देते है।


अंत मे निष्कर्ष 


राम का यही चरित्र, उनकी धर्म के प्रति गहरी आस्था, पग-पग पर मोह, प्रेम, भक्ति और कर्तव्य पथ का बोध कराती उनकी जीवन यात्रा, मानव मूल्यों और उनके संस्कारो का सही अर्थ बताती, इस प्रकार प्रकाशित करती है की यदि मानव समाज उसका अनुसरण करे तो वो कभी भी अपने मार्ग से नहीं भटक सकता। राम के चरित्र का वर्णन करते हुऐ आज हम 'पिता और पुत्र की मर्यादा' का एक सामन्य मनुष्य की दृस्टि से अवलोकन करने का एक प्रयास मात्र है। ऊपर दिये गये Web Links से श्री राम जुड़े तथ्यों को जान सकते है, और हमे अपनी बहुमूल्य राय दे सकते है।

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