बृहदेश्वर मंदिर दुनिया के प्रमुख ग्रेनाइट मंदिरों में से एक है। यह मंदिर तमिलनाडु के तंजौर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। तमिल भाषा में इसे बृहदीश्वर कहते हैं। यह ग्यारहवीं शताब्दी की शुरुआत में बनाया गया था। यह मंदिर चोल शासकों का एक महान कला केंद्र रहा है। इस भव्य मंदिर को विश्व धरोहर के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव को समर्पित बृहदेश्वर मंदिर शैव धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल रहा है।


बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु

बृहदेश्वर मंदिर या राजराजेश्वरम मंदिर, जिसे 11वीं शताब्दी की शुरुआत में बनाया गया था। इसे पेरूवुतैयार कोविल के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट से बना है। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला और एकमात्र मंदिर है जो ग्रेनाइट से बना है। यह अपनी भव्यता, वास्तुकला और केंद्रीय गुंबद से लोगों को आकर्षित करता है। बृहदेश्वर मंदिर के दो तरफ खाई है और एक तरफ अनाईकट नदी बहती है। अन्य मंदिरों के विपरीत, इस मंदिर में गर्भगृह के ऊपर एक बड़ी मीनार है, जो 216 फीट ऊंची है। इस मंदिर को यूनेस्को की सूची में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। 

 

बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु 


बृहदेश्वर मंदिर को चोल शासक राजराजा चोल द्वारा 1003-1010 ईस्वी के बीच बनाया गया था। उनके नाम पर इसे राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। इसे अपने समय की दुनिया की सबसे बड़ी संरचनाओं में गिना जाता था। इसकी तेरह (13) मंजिला इमारत (सभी हिंदू प्रतिष्ठानों में मंजिलों की संख्या विषम है) लगभग 66 मीटर ऊंची है। यह मंदिर भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है।


बृहदेश्वर मंदिर कला की हर शाखा - वास्तुकला, पत्थर और तांबे में मूर्तिकला, प्रतिमा, पेंटिंग, नृत्य, संगीत, आभूषण और उत्कीर्णन का भंडार है। बृहदेश्वर मंदिर उत्कीर्ण संस्कृत और तमिल पुरालेख सुलेख का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर की निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की छाया कभी पृथ्वी पर नहीं पड़ती है। इसके शिखर पर एक सुनहरा कलश है। जिस पत्थर पर यह कलश स्थित है, उसका वजन 2200 मण (80 टन) है और यह एक ही पत्थर से बना है। इस मंदिर में स्थापित विशाल, भव्य शिवलिंग को देखकर ही इसका नाम बृहदेश्वर उपयुक्त प्रतीत होता है।


बृहदेश्वर मंदिर में प्रवेश करने पर गोपुरम के अंदर एक चौकोर मंडप है। वहां मंच पर नंदी जी विराजमान हैं। नंदी की यह प्रतिमा 6 मीटर लंबी, 2.6 मीटर चौड़ी और 3.7 मीटर ऊंची है और इसका वजन 25 टन है। यह भारत में एक ही पत्थर में बनी नंदी जी की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है।नायक शासकों ने नंदी को धूप और बारिश से बचाने के लिए एक मंडप बनवाया। बृहदेश्वर मंदिर में मुख्य रूप से तीन त्योहारों को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं - जिनमें मासी (फरवरी-मार्च महीने का समय) में शिवरात्रि, पुरत्तासी (सितंबर-अक्टूबर महीने का समय) में नवरात्रि और अप्सी (नवंबर-दिसंबर के महीने) में राजराजन त्योहार को मनाया जाता है।


बृहदेश्वर मंदिर का गैरवपूर्ण इतिहास - Brihadishvara Temple History in Hindi


चोल शासकों ने इस मंदिर का नाम राजराजेश्वर रखा लेकिन तंजौर पर हमला करने वाले मराठा शासकों ने इस मंदिर का नाम बृहदेश्वर रखा। इस मंदिर के देवता भगवान शिव हैं। मुख्य मंदिर के अंदर 12 फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। यह द्रविड़ वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मुख्य मंदिर और गोपुरम निर्माण की शुरुआत यानी 11वीं शताब्दी की हैं। तब से लेकर अब तक मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण, जीर्णोद्धार और मरम्मत की जा चुकी है।


बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु

मुगल शासकों द्वारा युद्ध और आक्रमण और तोड़फोड़ के कारण मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था। बाद में, जब हिंदू राजाओं ने इस क्षेत्र पर फिर से विजय प्राप्त की, तो उन्होंने इस मंदिर की मरम्मत की और कुछ अन्य निर्माण कार्य भी करवाए। बाद में राजाओं ने मंदिर की दीवारों पर पुराने चित्रों को फिर से रंगवाया और उसका सौंदर्यीकरण किया।  


मंदिर में भगवान कार्तिकेय (मुरुगन स्वामी), माता पार्वती (अम्मन) और 16-17वीं शताब्दी में नायक राजाओं द्वारा निर्मित नंदी की मूर्ति शामिल है। मंदिर में संस्कृत भाषा और तमिल भाषा के कई शिलालेख भी खुदे हुए हैं।


बृहदिश्वर मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना - Brihadishvara Temple Facts in Hindi


बृहदेश्वर मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि गुंबद की छाया जमीन पर न पड़े। इसके शिखर पर लगे कुंबम पत्थर का वजन 80,000 किलोग्राम है, जो एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है। आश्चर्य या है की 80 टन वजनी पत्थर को मंदिर के शिखर तक कैसे ले जाया गया होगा जो आज तक एक रहस्य बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि 1.6 किलोमीटर लंबा एक रैंप बनाया गया था, जिस पर इसे मंदिर के शिखर तक ले जाकर इंच दर इंच बढ़ाया गया था।

बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु

मंदिर इतने कम समय में कैसे बना होगा?


बृहदीश्वरर मंदिर को बनाने में 130,000 टन पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इतना बड़ा मंदिर बनाने में सिर्फ रिकॉर्ड 7 साल लगे। आखिर इस काम में कितने लोग लगे हुए थे और उस जमाने में कैसी तकनीक थी कि इतने कम समय में निर्माण कार्य पूरा हो गया जो आज के समय में भी संभव नहीं है। यह अद्भुत मंदिर अभी तक 6 बड़े भूकंपों का सामना कर चूका है, लेकिन इसे किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है।



भगवान नंदी की अद्भुत प्रतिमा 


मंदिर के अंदर गोपुरम में स्थापित नंदी की विशाल मूर्ति भी एक अनूठा आश्चर्य है। नंदी की यह मूर्ति 16 फीट लंबी, 8.5 फीट चौड़ी और 13 फीट ऊंची और वजन 20,000 किलोग्राम है। खास बात यह है कि मूर्ति को एक ही पत्थर को तराश कर बनाया गया है। यह भारत में नंदी की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है।


बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु

बृहदेश्वर मंदिर के निर्माण के लिए ग्रेनाइट पत्थर को कहाँ से लाया गया होगा?


बृहदेश्वर मंदिर का अधिकांश भाग कठोर ग्रेनाइट पत्थर से बना है और शेष भाग बलुआ पत्थर की चट्टानों से बना है। ग्रेनाइट पत्थर का निकटतम स्रोत मंदिर से 100 किमी की दूरी पर स्थित है। अभी इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है कि इतनी बड़ी मात्रा में और इतने बड़े आकार के पत्थर इतनी लंबी दूरी से मंदिर निर्माण स्थल पर कैसे लाए गए। मंदिर के आसपास कोई पहाड़ भी नहीं है, जहां से पत्थर लाने की संभावना हो।


ग्रेनाइट जैसे कठोर पत्थर को कैसे तराशा गया होगा?


ग्रेनाइट की चट्टानें इतनी सख्त होती हैं कि उन्हें काटने के लिए विशेष हीरे के टुकड़े वाले औजारों का इस्तेमाल करना पड़ता है। उस काल में आधुनिक उपकरणों के बिना मंदिर में चट्टानों को तराश कर इतनी सुन्दर, कलात्मक मूर्तियाँ कैसे बनाई गई होंगी, यह बड़े आश्चर्य का विषय है।


बृहदेश्वर मंदिर की व्यवस्था 


बृहदेश्वर मंदिर में खुदे हुए शिलालेखों से पता चलता है कि सम्राट राजराजा ने बृहदेश्वर मंदिर में प्रतिदिन जलने वाले दीयों के लिए घी की निर्बाध आपूर्ति के लिए मंदिर को 4000 गाय, 7000 बकरियां, 30 भैंस और 2500 एकड़ जमीन दान में दी थी। मंदिर व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए 192 कर्मचारियों को काम पर रखा गया था।

2 टिप्पणियाँ

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  1. वृहदेश्वर महादेव के मंदिर के विषय में सुंदर रोचक जानकारियों भरा लेख।
    https://eknayisochblog.blogspot.com/

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    1. धन्यवाद सुधा जी आपके उत्साहवर्धन के लिए

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